बदांयू:- ऐसा नहीं है कि जिले में बिना पंजीकरण के चल रहे पैथोलॉजी लैब के बारे में स्वास्थ्य महकमे को जानकारी नहीं है। बावजूद इसके कार्रवाई करने में उदासीनता बरती जा रही है। यह बात खुद स्वास्थ्य अफसर स्वीकार करते हैं, जब शिकायत मिलती है, तो कार्रवाई की जाती है। बिना शिकायत के अनाधिकृत लेव चलती है तो चलने दे। स्वास्थ्य महकमे की नाक के नीचे सैकड़ों पैथोलॉजी बिना पंजीकरण के संचालित हो रही हैं। बदांयू जिले में 15 से 20 लैब पैथोलॉजी जांच के लिए अधिकृत हैं जबकि चल रही हैं 500 से ऊपर। अब जरा सोचिए कि कितने बड़े पैमाने पर गोलमाल हो रहा है। बदांयू जिले के शहर और देहात में गली- मोहल्लों में बिना पंजीकरण के पैथोलॉजी की दुकानें सजी मिल जाएंगी। बड़े-बड़े बोर्ड लगे हैं, जिन पर मधुमेह, रक्त एलएफटी, केएफटी, डेंगू, मलेरिया की जांच होने का जिक्र है। ऐसा नहीं है कि जिले में बिना पंजीकरण के चल रहे पैथोलॉजी लैब के बारे में स्वास्थ्य महकमे को जानकारी नहीं है। बावजूद इसके कार्रवाई करने में उदासीनता बरती जा रही है। यह बात खुद स्वास्थ्य अफसर स्वीकार करते हैं, जब शिकायत मिलती है, तो कार्रवाई की जाती है। इन अपंजीकृत लैब में पूरी तरह से मानकों की अनदेखी की जा रही है। लैब में डिग्रीधारक और प्रशिक्षित तकनीशियन नहीं होते हैं और न ही एमडी पैथोलाजिस्ट होते हैं। ऐसे में जांच रिपोर्ट को लेकर लोगों के मन में संदेह रहता है कि उनकी रिपोर्ट गलत है या सही। इसलिए वह दो-तीन लैब में जांच कराते हैं, जहां रिपोर्ट में भिन्नता आने पर वह मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं।मगर विभाग को लोगों की परेशानी से कुछ लेना-देना नहीं। यह है पैथोलाॅजी लैब संचालन के मानक।
लैब भवन का नक्शा पास हो
स्वास्थ्य सुविधा का पंजीकरण हो
हर चिकित्सक का योग्यता प्रमाण पत्र उप्र मेडिकल काउंसिल से पंजीकरण प्रदूषण विभाग से पंजीकरण अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र। जिले में 15 से बीस पैथोलॉजिस्ट हैं, लेकिन शहर के लेकर देहात तक हजारों की संख्या बिना पंजीकरण और प्रशिक्षित स्टॉफ के लैब संचालित हैं। ऐसे में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। मगर स्वास्थ विभाग सिर्फ शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कहता है। लोगों का कहना है कि बात कुछ हज़म नहीं होती।
