3:13 pm Saturday , 19 April 2025
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दुधारू पशुओं को ठंड से बचाए पशु चिकित्सा अधिकारी आसफपुर

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आसफपुर – आगामी सर्दी को दृष्टिगत रखते हुए पशु चिकित्सा अधिकारी आसफपुर ने विकास खंड आसफपुर के सभी पशुपालकों से पशुओं में शीत लहर से बढ़ाने हेतु आह्वान किया तथा बताया कि सर्दियों में पशुओं को ठंड लगने की आशंका रहती है, जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर तो विपरीत असर पड़ता ही है, साथ ही साथ दूध उत्पादन भी प्रभावित होता है। इससे पशुपालकों को बहुत हानि उठानी पड़ती है। इस हानि से बचने के लिए पशुओं को सर्दी से बचना बहुत आवश्यक है। सर्दियों में तापमान बहुत कम हो जाता है, तथा ठंडी हवा चलती है। इन दिनों पशुओं को सर्दी, धुंध और ठंडी हवा से बचाने के लिए पूर्ण प्रबंधन करने चाहिएं। पशुओं को सर्दी लगने से दूध के उत्पादन में कमी आ सकती है एवं पशु बीमार भी हो सकते हैं। इसलिए भैंसों और अपनी गायों से सर्दियों में अच्छा दूध लेने के लिए कुछ उपाय इस प्रकार है।
पशुओं को सर्दी से बचाने के उपाय
सर्दी का मौसम है और ज्यादा ठंड पड़ रही है तो उससे पशुओं को बचाने की जरूरत है। थोड़ी सी सूझ बूझ से काम करें तो पशुओं को ठंड से बचाया जा सकता है। यहां ऐसे कुछ सरल उपाय बताए जा रहे हैं ताकि पशुधन को ठंड से बचाया जा सके और किसान भाईयों को आर्थिक नुकसान नहीं हो।

पशुओं के घर को बनाएं ठंड प्रूफ
अपने पशुओं को सर्दी से बचाव के लिए पशुशाला में रात को बोरी इत्यादि व ज्वार या बाजरे की कड़वी एवं टाट बांधकर हवा और सर्दी से बचाव करें। पशुओं के बैठने के स्थान को सूखा रखने का प्रयास करें, पुआल या कोई नर्म, सस्ती तथा पानी चूसने वाली चीज पशुओं के नीचे फर्श पर डालें, जिससे फर्श सूखा रहे और सफाई भी आसानी से हो सके। सर्दियों के दिनों में पशुओं को धूप में बांधे, परन्तु ठंडी हवा से बचाव करना जरूरी है।पशु को ताजा पानी ही पिलाएं, जो अधिक ठंडा या अधिक गर्म न हो।
खानपान का रखें ध्यान
पशुओं को बरसीम या अन्य का हरा चारा खिलाने से पहले थोड़ा-सा सूखा चारा खिलाएं या बरसीम आदि, के चारे को सूखे चारे में मिलाकर खिलाना चाहिए, ताकि पशु को अफारा न हो। प्रत्येक गाय या भैंस को 50 से 60 ग्राम नमक एवं खनिज मिश्रण रोजाना खिलाएं, इससे पशु में खनिज पदार्थ की कमी नहीं आती और पशु का दूध ठीक उतरेगा व प्रजनन सुचारू रूप से होगा। पशु को साफ तथा सूखा रखें, यदि अधिक सर्दी एवं तेज हवा चलती हो तो नहलाने की बजाय पशु को मोटे ब्रुश से रगड़कर साफ करें। यदि पशु को अफारा हो जाए तो आधा लीटर अलसी या सरसों का तेल 60 मिलीलीटर तारपीन के तेल में मिलाकर दें, इसके साथ साथ हिमालय बतीसा 50 से 60 ग्राम भी दें, यह भी लाभकारी सिद्ध होगा।
कुछ जरूरी उपाय भी करें
सर्दियों में रात को सूखा चारा खिलाना लाभदायक रहता है, इससे पशुओं में तापमान का संतुलन बनता है। जो पशु को धान की पुआली खिलाते हैं, वे ध्यान रखें कि पुआल में फफूद न लगी हो वरना पशुओं में डेगनाला बीमारी होने का डर रहता है। हर समय पालतू या बंधे पशु को थोड़ी देर व्यायाम के लिए खुला छोड़ दें, खासतौर पर नवजात बच्चों को व्यायाम कराना बहुत लाभदायक रहता है। बछड़े-बछड़ियों और कटड़े-कटड़ियों के पेट में जूण पड़ने व सर्दी लगने के कारण बहुत अधिक संख्या में मृत्यु होने का डर होता है। इसलिए पेट के कीड़ों से रहित करने के लिए पहली बार 7 से 10 दिन की आयु में एवं इसके बाद प्रति माह दवाई पशु चिकित्सालय से दिलाएं। बाहरी परजीवियों को नष्ट करने के लिए पशुओं के शरीर पर एवं पशुशाला में मैलाथियान या सुमिथियान क्रमशः 0.1 प्रतिशत या 0.3 प्रतिशत घोल को छिड़कें। अपने पशु को बीमारियों से बचाव के टीके उचित समय पर लगवाएं।
क्या करें –
पशुओं के रहने की जगह को ठंड प्रूफ़ बनाएं.
पशुओं के बैठने की जगह पर पुआल या कोई नरम चीज़ बिछाएं.
पशुओं को ताज़ा पानी पिलाएं.
पशुओं को बासी या ठंडा चारा न दें.
पशुओं को संतुलित आहार के साथ पोषक तत्व खिलाएं.
पशुओं को नमक और गुड़ का घोल पिलाएं.
पशुओं को सुबह-शाम जूट का बोरा ओढ़ाएं.
पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए जिस जगह पर बांधा जाता है, वहां आग जलाएं.
पशुओं को सर्दी के लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सालय में ले जाएं.
मवेशियों को थनैला रोग से बचाने के लिए दूध दोहन के बाद कीटनाशक घोल से धोएं.
मवेशियों को खुरपका या मुंहपका बीमारी होने पर टीकाकरण कराएं.
मवेशियों को ठंड के मौसम में सही आहार दें.
मवेशियों को महीने में एक बार सरसों का तेल पिलाएं.

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