मेहनत के साथ अक्ल का होना भी जरूरी है
जिंदगी में केवल मेहनत करना ही काफी नहीं होता, मेहनत के साथ-साथ सही दिशा और बुद्धिमत्ता का भी होना आवश्यक है। यह प्रेरणादायक कहानी इसी तथ्य को उजागर करती है।
शहर में दो दोस्त, चंदन और कुंदन, साथ रहते थे। दोनों ने बचपन से लेकर कॉलेज तक एक साथ पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों ने एक ही कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन किया और किस्मत से दोनों को नौकरी मिल गई।
कुछ समय बाद, चंदन को लगातार प्रमोशन मिलते गए जबकि कुंदन की स्थिति वही की वही रही। धीरे-धीरे कुंदन के मन में चंदन के प्रति ईर्ष्या घर कर गई। वह सोचने लगा कि आखिर चंदन ऐसा क्या कर रहा है जो उसे इतना तरक्की मिल रही है।
एक दिन कुंदन का गुस्सा फूट पड़ा। बॉस ने उसे एक काम सौंपा तो उसने झगड़ते हुए कहा, “आप हमेशा चंदन को तरजीह देते हैं। मैंने भी मेहनत की है, लेकिन आपको सिर्फ चंदन ही अच्छा लगता है। इसलिए अब मैं यह काम नहीं करूंगा।”
बॉस ने शांति से कुंदन की बात सुनी और कहा, “तुमने मेहनत तो की है, लेकिन शायद वैसी नहीं, जैसी करनी चाहिए।”
कुंदन फिर भी अपनी बात पर अड़ा रहा। तब बॉस ने उसे समझाते हुए कहा,
“ठीक है, मैं तुम्हें प्रमोशन और ज्यादा सैलरी दूंगा, लेकिन पहले तुम्हें मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी। हम एक स्ट्रेटेजी तैयार करते है मान लो हमारा कैले खरीदने और बेचने का व्यवसाय है ”
बॉस ने फिर कुंदन से कहा, “तुम बाजार जाकर देखो कि वहां कितने केले वाले हैं।”
कुंदन गया और वापस आकर बताया, “सिर्फ एक केले वाला है।”
बॉस ने आगे पूछा, “अब जाओ और पूछो कि केले कितने के हैं।”
कुंदन ने वापस आकर बताया, “केले साठ रुपये दर्जन हैं।”
बॉस ने यह सुनकर चंदन को बुलाया और उसे वही काम करने के लिए भेजा।
चंदन बाजार गया और वापस आकर बोला, “बाजार में केवल एक केले वाला है। वह साठ रुपये दर्जन के केले बेच रहा है। लेकिन अगर हम उससे सारे केले खरीदें, तो वह पचास रुपये दर्जन में देगा। उसके पास तीस दर्जन केले हैं। अगर हम सारे केले खरीदकर बाजार में साठ रुपये दर्जन बेचें, तो हमें अच्छा मुनाफा होगा।”
कुंदन यह सब कोने में खड़ा सुन रहा था। वह चंदन की बातों से हैरान रह गया।
कुंदन को अपनी गलती समझ में आ गई। उसने महसूस किया कि केवल मेहनत करना ही काफी नहीं है, बल्कि समय समय पर सही योजना और बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल भी जरूरी है। उसने बॉस से माफी मांगी और कहा मुझे आज बहुत बड़ी सीख मिली है। मैं पूर्णतः इस पर अमल करूंगा और फिर बिना शिकायत के मन से अपने काम में लग गया।
निष्कर्ष :यह कहानी हमें सिखाती है कि *मेहनत और बुद्धिमत्ता दोनों का संतुलन होना सफलता के लिए आवश्यक है। सही सोच और मेहनत का मेल ही हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करता है।*