रिपोर्ट (षट्वदन शंखधार)
उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत केवाईसी और अन्य सुधार कार्यों के नाम पर किसानों से 2000 से 3000 रुपये तक की अवैध वसूली की जा रही है। दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा है, जिससे किसान परेशान और मजबूर हो गए हैं। सरकारी दफ्तरों में बिना रिश्वत के किसानों के काम पूरे नहीं हो रहे, जिससे भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच चुका है।
क्या है पूरा मामला?
पीलीभीत जिले के बीसलपुर क्षेत्र समेत कई ग्रामीण इलाकों में किसान सम्मान निधि की केवाईसी और अन्य सुधार कार्यों के नाम पर 2000 से 3000 रुपये तक रिश्वत ली जा रही है। किसानों को गुमराह कर यह कहा जा रहा है कि अगर वे यह रकम नहीं देंगे, तो उनकी किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाली राशि रोक दी जाएगी। अगर कोई किसान इस अवैध वसूली का विरोध करता है, तो महीनों तक उसका काम लटका दिया जाता है, जिससे किसान मजबूरी में रिश्वत देने को तैयार हो जाते हैं।
किसानों की मजबूरी और प्रशासन की लापरवाही
किसानों का कहना है कि जब वे दलालों को रिश्वत नहीं देते, तो उन्हें सरकारी दफ्तरों के कई-कई महीने चक्कर लगाने के बावजूद कोई समाधान नहीं मिलता। अधिकारियों और कर्मचारियों से बार-बार संपर्क करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती। यहां तक कि कई बार किसान शिकायत भी दर्ज कराते हैं, लेकिन उनकी आवाज को दबा दिया जाता है। इस वजह से किसानों को मजबूर होकर रिश्वत देनी पड़ती है ताकि उनका केवाईसी या अन्य जरूरी सुधार कार्य समय पर हो सके।
भ्रष्टाचार का खुला खेल:
दलाल और अधिकारी किसानों को गुमराह कर अवैध वसूली कर रहे हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ बिना रिश्वत के मिलना मुश्किल हो गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में यह भ्रष्टाचार तेजी से फैल रहा है, जिसमें स्थानीय प्रशासन की भी भूमिका संदिग्ध है।
सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के बावजूद रिश्वतखोरी खुलेआम जारी है।
सरकार की छवि धूमिल करने की साजिश?
इस तरह की अवैध उगाही से किसानों में सरकार के प्रति गलत धारणाएं बनाई जा रही हैं। दलाल और अधिकारी मिलकर सरकार को भ्रष्टाचार युक्त घोषित करने की साजिश रच रहे हैं। खुलेआम रिश्वतखोरी से केंद्र और राज्य सरकार की छवि खराब हो रही है, जबकि सरकार की नीतियां किसानों को लाभ देने के लिए बनाई गई हैं।
अब क्या होना चाहिए?
अगर सरकार और प्रशासन इस पर सख्त कार्रवाई नहीं करता, तो किसानों का शोषण जारी रहेगा।
इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।