रिपोर्ट (षट्वदन शंखधार)
गीत
पीर इस मन की पिरोकर अश्रु का व्यापार करना
जब अधूरा प्यार करना
जब अधूरा प्यार करना
रीति के बंधन अनोखे
प्रीत से तुम बांध देना
गम की ये पतवार शुभगे
नेह जल में थाम लेना
इस ह्रदय को मान अपना फिर इसे स्वीकार करना
जब अधूरा प्यार करना
जब अधूरा प्यार करना
मन की मरुथल भूमि में तुम
प्रेम की कुटिया बनाना
रोज संध्या के समय में
याद का दीपक जलाना
बैठ सुधियों के सिरहाने प्रीति का संचार करना
जब अधूरा प्यार करना
जब अधूरा प्यार करना
कब हिरण के भाग्य में
बोलो यहाँ कस्तूरिया थी
मान लो तुम भी नियति ने
की सुनिश्चित दूरियाँ थी
प्रेम में तुम राधिका के मन को अंगीकार करना
जब अधूरा प्यार करना
जब अधूरा प्यार करना
~ शिवांश शुक्ला