राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, बिल्सी में डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई गई। यह दिन न केवल एक ऐतिहासिक दिन था, बल्कि समाज में समानता, शिक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का एक मजबूत अवसर भी था। इस अवसर पर कॉलेज परिसर में गूंज रही प्रेरणादायक बातों ने सभी को डॉ. अंबेडकर के विचारों की ओर पुनः ध्यान आकर्षित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने और दीप जलाने से हुई। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य राजीव कुमार ने अपने संबोधन में कहा, “डॉ. अंबेडकर का जीवन संघर्ष और समर्पण से भरा हुआ था। उन्होंने हमें यह सिखाया कि शिक्षा वह शक्ति है, जिसके द्वारा हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और समाज में व्याप्त असमानताओं को समाप्त कर सकते हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें सिखाता है कि किसी भी कठिनाई को पार करने के लिए हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।”
प्राचार्य ने यह भी कहा, “डॉ. अंबेडकर ने समाज के प्रत्येक वर्ग को समानता और सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया। उन्होंने समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और हमें यह समझाया कि शिक्षा, केवल व्यक्तिगत उन्नति का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज में व्यापक बदलाव लाने का सबसे प्रभावी उपकरण है।”
कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने डॉ. अंबेडकर के जीवन, संघर्ष और उनके योगदान को विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से जीवंत किया। विद्यार्थियों ने नाटक, कविता, और गीतों के माध्यम से डॉ. अंबेडकर के विचारों को प्रभावी रूप से व्यक्त किया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को न केवल सोचने पर मजबूर किया, बल्कि उनके जीवन के प्रति एक नई श्रद्धा और सम्मान का अनुभव भी कराया।
इस आयोजन को सफल बनाने में कॉलेज के समर्पित स्टाफ का भी अहम योगदान था, जिनमें मुराद आलम, धर्मेंद्र पाल, आकाश पटेल, अंश, सलोनी, प्रवेश, करण और अन्य सदस्यों ने मिलकर इस दिन को यादगार और प्रेरणादायक बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनकी टीमवर्क और समर्पण ने कार्यक्रम को और भी शानदार बना दिया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, और सभी उपस्थित लोगों ने यह संकल्प लिया कि वे डॉ. अंबेडकर के आदर्शों को अपने जीवन में उतारेंगे और समाज में समानता, न्याय और शिक्षा के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।
राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, बिल्सी द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं था, बल्कि यह शिक्षा और समानता के प्रति एक सशक्त कदम था। डॉ. अंबेडकर की जयंती ने यह संदेश दिया कि हम सभी को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और समाज में बदलाव लाने के लिए निरंतर काम करना चाहिए।